ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) एक प्रभावी, सुविधाजनक और कुशल प्रक्रिया है (Press Release 03 Dec 2021)

भारत में न्याय प्रशासन में देरी का इतिहास रहा है और कोविड-19 महामारी ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को ऑनलाइन दर्ज करने और सुनवाई की अनुमति दी है। लेकिन कोई भी इस तथ्य को अनदेखा नहीं कर सकता है कि न्यायपालिका पहले से ही बहुत अधिक मामलों से भरी हुई है। अदालतों पर दबाव कम करने के लिए एक तात्कालिक और कुशल समाधान की आवश्यकता है और इसका हल ऑनलाइन विवाद समाधान या ओडीआर के माध्यम से हो सकता है।

ऑनलाइन विवाद समाधान या ओडीआर तकनीकी और वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तरीकों को मिलाकर अदालतों के बाहर विवादों को निपटाने की एक प्रक्रिया है। ओडीआर उन विवादों को कवर करता है जो इंटरनेट पर साइबरस्पेस में शुरू किए गए हैं, लेकिन इसके स्रोत बाहर के हैं यानी ऑफ़लाइन। मूलतः विभिन्न प्रकार के विवादों के लिए अदालत में जाने के विकल्प के रूप में मध्यस्थता का इरादा था, लेकिन समय के साथ यह विधि स्वयं जटिल और महंगी हो गई।

ओडीआर कई कंपनियों के लिए विवादों को ऑनलाइन हल करने के लिए तेज़, पारदर्शी और सुलभ विकल्प देता है। विशेष रूप से जिनके पास उच्च मात्रा और कम मूल्य के मामले हैं। पिछले आधे दशक में भारत में ऑनलाइन लेनदेन काफी बढ़ा है, ऐसे में इन विवादों को हल करने के लिए ओडीआर को स्वीकार करने के अलावा और कोई अन्य स्थिति अधिक सुविधाजनक नहीं होगी। ऐसे में एक तेज और निष्पक्ष विवाद समाधान प्रणाली को लागू करना होगा।

भारत में ओडीआर की परिकल्पना अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। नीति आयोग ने इसे आगे बढ़ाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था और कमिटी ने 29 नवंबर 2021 को जारी रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ साथ भारत में ओडीआर को मुख्यधारा में लाने के लिए ठीक माना है क्योंकि प्रभावी लागत, सुविधाजनक, कुशल प्रक्रिया के रूप में इसे पार्टियों की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए अनुकूल माना गया है। कानून और न्याय मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है कि नीति आयोग द्वारा राज्य स्तरीय पहलों को उचित समर्थन दिया जाए। इस संबंध में सरकार ऑनलाइन विवाद प्रबंधन प्लेटफॉर्मों को उचित समर्थन दे रहा है।

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