Author: Business So Simple
Sec. 54 relief available even if investment was made in new property before execution of sale deed
AND A. MOHAN ALANKAMONY, ACCOUNTANT MEMBER
[ASSESSMENT YEAR 2013-14]
Bhagavad Gita: Steady mind (Text 56, Ch2, Contents of Gita Summarized)
Cost inflation index for the year 2017-18 is notified at 272 (CBDT Notification dated 05th June 2017)
Cost inflation index under Income Tax Act with base year as 2001 is 100 and Cost Inflation Index for the year 2017-18 is 272.
Sl.No.
|
Financial Year
|
Cost Inflation Index
|
1
|
2001-02
|
100
|
2
|
2002-03
|
105
|
3
|
2003-04
|
109
|
4
|
2004-05
|
113
|
5
|
2005-06
|
117
|
6
|
2006-07
|
122
|
7
|
2007-08
|
129
|
8
|
2008-09
|
137
|
9
|
2009-10
|
148
|
10
|
2010-11
|
167
|
11
|
2011-12
|
184
|
12
|
2012-13
|
200
|
12
|
2013-14
|
220
|
14
|
2014-15
|
240
|
15
|
2015-16
|
254
|
16
|
2016-17
|
264
|
17
|
2017-18
|
272
|
Bhagavad Gita: Pure transcendental consciousness (Text 55, Ch2, Contents of Gita Summarized)
FDI,ESOPs and off-market transactions approved by RBI, SEBI, a HC or SC and NCLAT will not face capital gains tax
Refer Section 10(38) & CBDT notification dated 05 June 2017:
Section 10(38) of Income Tax Act,1961
(38)
|
any income arising from the transfer of a long-term capital asset, being an equity share in a company or a unit of an equity oriented fund [or a unit of a business trust] where—
|
(a)
|
the transaction of sale of such equity share or unit is entered into on or after the date on which Chapter VII of the Finance (No. 2) Act, 2004 comes into force; and
|
|
(b)
|
such transaction is chargeable to securities transaction tax under that Chapter :
|
[Provided that the income by way of long-term capital gain of a company shall be taken into account in computing the book profit and income-tax payable under section 115JB :]
|
||
[Provided also*that nothing contained in sub-clause (b) shall apply to a transaction undertaken on a recognised stock exchange located in any International Financial Services Centre and where the consideration for such transaction is paid or payable in foreign currency.]
|
||
Following third proviso shall be inserted after the second proviso to clause (38) of section 10 by the Finance Act, 2017, w.e.f. 1-4-2018 :
|
||
Provided also that nothing contained in this clause shall apply to any income arising from the transfer of a long-term capital asset, being an equity share in a company, if the transaction of acquisition, other than the acquisition notified by the Central Government in this behalf, of such equity share is entered into on or after the 1st day of October, 2004 and such transaction is not chargeable to securities transaction tax under Chapter VII of the Finance (No. 2) Act, 2004 (23 of 2004).
|
||
[Explanation.—For the purposes of this clause,—
|
(a)
|
“equity oriented fund” means a fund—
|
(i)
|
where the investible funds are invested by way of equity shares in domestic companies to the extent of more than sixty-five per cent of the total proceeds of such fund; and
|
|
(ii)
|
which has been set up under a scheme of a Mutual Fund specified under clause (23D):
|
Provided that the percentage of equity share holding of the fund shall be computed with reference to the annual average of the monthly averages of the opening and closing figures;
|
||
(b)
|
“International Financial Services Centre” shall have the same meaning as assigned to it in clause (q) of section 2 of the Special Economic Zones Act, 2005 (28 of 2005);
|
|
(c)
|
“recognised stock exchange” shall have the meaning assigned to it in clause (ii) of the Explanation 1 to *sub-section (5) of section 43;]
|
CBDT notification dated 05 June 2017
Bhagavad Gita: Mind fixed in the trance of self realization (Text 53, Ch2, Contents of Gita Summarized)
आयकर (ज्ञान श्रृंखला-7): हानि की क्षतिपूर्ति और स्थानांतरण (Set Off and Carry Forward of Losses)
हानि की क्षतिपूर्ति और स्थानांतरण (Set Off and Carry Forward of Losses)
- Q1. यदि किसी स्रोत से आय पर छूट है, तो क्या ऐसे स्रोत से हुर्इ हानि को किसी अन्य करदेय आय के खिलाफ समायोजित किया जा सकता है?
यदि किसी विशेष स्रोत से आय पर कर से छूट है, तो ऐसे स्रोत से हुर्इ हानि को किसी ऐसी अन्य आय से समायोजित नहीं किया जा सकता, जिस पर कर देय है।
उदाहरण के लिए, क्रषि आय करमुक्त है, इसलिए यदि करदाता को कृषि गतिविधियों से हानि होती है, तो ऐसी हानी को किसी अन्य कर योग आय से समायोजि नहीं किया जा सकता।- Q2. अंतर-स्रोत समायोजन का क्या अर्थ है?
यदि किसी वर्ष करदाता को आय के एक विशेष शीर्षक के तहत किसी स्रोत से हानि होती है, तो उसे उसी शीर्षक के तहत किसी अन्य स्रोत से होने वाली आय के खिलाव ऐसी हानि को समायोजित करने की अनुमति है।
आय के एक विशेष शीर्षक के तहत एक स्रोत से हुर्इ हानि को आय का उसी शीर्षक के तहत किसी अन्य स्रोत से आय के खिलाफ समायोजन करने की प्रक्रिया को अंतर-स्रोत समायोजन कहा जाता है, उदाहरण, व्यापार ए से हानि का व्यापार बी से हुए लाभ में समायोजन।- Q3. हानि का अंतर-स्रोत समायोजन करते समय कौन से प्रतिबंधों पर ध्यान दिया जाना चाहिए?
हानि का अंतर-स्रोत समायोजन करने से पहले निम्नलिखित प्रतिबंधों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
• आकलन आधारित व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति किसी अन्य आकलन आधारित व्यापार की आय से नहीं की जा सकती। परंतु, गैर-आकलन आधारित व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति आकलन आधारित व्यापार से हुर्इ आय से की जा सकती है।
• दीर्घकालिक पूंजीगत हानि की क्षतिपूर्ति किसी अन्य दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ से नहीं की जा सकती। परंतु, अल्पकालिक पूंजीगत हानि की क्षतिपूर्ति दीर्घकालिक या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ से की जा सकती है।
• लॉटरियों, वर्ग-पहेलियों, घुड़ दौड़ सहित दौड़ों, ताश के खेल और जुए और सट्टे से प्राप्त किसी भी आय से किसी भी हानि की क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती।
• दौड़ में भागने वाले घोड़ों के स्वामित्व और रखरखाव के व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति दौड़ में भाग लेने वाले घोड़ों के स्वामित्व और रखरखाव के व्यापार से हुर्इ आय से ही की जा सकती है।
• अनुच्छेद 35 कघ के तहत निर्देशित व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति निर्देशित व्यापारों से हुर्इ आय के अलावा किसी अन्य आय से नहीं की जा सकती (अनुच्छेद 35 कघ एक कोल्ड चेन सुविधा स्थापित करने, क्रषि उत्पाद के भण्डारण के लिए गोदाम सुविधा को स्थापित करने और चलाने और आवासीय परियोजना का विकास और निर्माण करने आदि जैसे निर्देशित व्यापारों से संबंधित है) ।- Q 4. इंटर-हेड समायोजन का अर्थ क्या है?
अंतर-स्त्रोत समायोजन (अगर कोर्इ है) के बाद, अगला चरण, इंटर-हेड समायोजन करना होता है। अगर किसी वर्ष में, करदाता, आय के एक सिरे के तहत हानि उठाता है और आय के अन्य सिरे के तहत आय रखता है, तो वह अन्य सिरे से आय के विपरीत एक सिरे से हानि को समयोजित कर सकता है। उदाहरण के लिए- तनख्वाह आय के विपरीत समायोजन के लिए घर की सम्पत्ति के सिरे के तहत हानि निम्मलिखित प्रतिबंध, इंटर-हेड समायोजन से पहले दिमाग में रख लेना चाहिये:
• इंटर-हेड समायोजन करने से पहले, करदाता को सबसे पहले अंतर-स्त्रोत समायोजन करना चाहिये।
• सट्टा व्यवसाय से हानि, सट्टा व्यवसाय से आय के अलावा किसी अन्य आय के विपरीत सेट अॉफ नहीं की जा सकती है। हालांकि, गैर-सट्टा व्यापार हानि, सट्टा व्यापार से आय के विपरीत सेट ओफ हो सकती है।
• ”पूंजीगत लाभ” सिरे के तहत हानि, आय के अन्य सिरे के तहत आय के विपरीत सेटआॉफ नहीं की जा सकती है।
• कोर्इ भी नुकसान, स्वाभाविक या शर्त के किसी रूप या गैम्बलिंग से या खेल के किसी प्रकार से जैसे- कार्ड गेम, घुडदौड़, रेस, पहेली, लॉटरी आदि से होने वाली आय के विपरीत सेटआॉफ हो सकती है।
• घुडदौड घोड़ो का रखरखाव और स्वामित्व के व्यवसाय से हानि, आय के अन्य के विपरीत सेटआॉफ नहीं की जा सकती है।
• धारा 35 एडी के तहत विशेष व्यापार से हानि, अन्य आय ( धारा 35 एडी, कृषि उत्पादों, विकसित और इमारत घरेलू परियोजनाएं आदि के भंडारण के लिए सेटिंगअप और आॉपरेटिंग वेयर हाउसिंग सुविधा, एक ठंडी चौन सुविधा की सेटिंग के जैसे निश्चित विशिष्ट के सदंर्भ में योग्य है।) के विपरीत सेटओफ नहीं की जा सकती है।
• व्यापार और पेशे से हानि (अनवशोषित मूल्यहास सहित), वेतन सिरे के तहत कर से योग्य आय के खिलाफ सेटआॉफ नहीं की जा सकती है।- Q5. यदि हानि के वर्ष में आय कम पड़ती है, और करदाता पूरी हानि की क्षतिपूर्ति नहीं कर पाता है, तो क्या वो असमायोजित हानि को समायोजन के लिए अगले वर्ष में स्थानांतरित कर सकता है?
कर्इ बार, ऐसा हो सकता है कि अंतर-स्रोतं और अंतर-शीर्षक समायोजन करने के बाद भी, पूर्ण हानि की क्षतिपूर्ति न हो सके। ऐसी असमायोजित हानि को आने वाले वर्ष (वषोर्ं) की आय में समायोजन के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है। विभिन्न आय शीर्षकों के तहत हानि को स्थानांतरित करने के लिए आयकर कानून के तहत अलग प्रावधान बनाए गए हैं (इस संबंध में अधिक प्रावधानों के लिए अगले “अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों” को देखें) ।- Q6. आकलन पर आधारित व्यापार से हुर्इ हानि के को छोड़ कर व्यापार हानि के स्थानांतरण और क्षतिपूर्ति के संबंध में आयकर कानून के तहत कौन से प्रावधान बनाए गए हैं?
यदि किसी व्यापार/ व्यवसाय (आकलन पर आधारित व्यापार के अलावा) से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति उस वर्ष में पूरी तरह समायोजित नहीं की सकती जिसमें वो हुर्इ थी, तो असमायोजित हानि को समायोजन के लिए अगले वर्ष में स्थानांतरित किया जा सकता है। आने वाले वर्ष (वषोर्ं) में ऐसी हानि को केवल “व्यापार और व्यवसाय से लाभ और हानि” शीर्षक के तहत करदेय आय के खिलाफ ही समायोजित किया जा सकता है।
“व्यापार या व्यवसाय से लाभ और हानि” शीर्षक के तहत हानि को केवल तभी स्थानांतरित किया जा सकता है जब जिस वर्ष में हानि हुर्इ थी उस वर्ष का आय हानि की विवरणी, विवरणी पेश करने की तिथि पर या उससे पहले दिया जाए, जैसे कि अनुच्छेद 139 (1) में निर्देशित किया गया है।
इस प्रकार की हानि को हानि होने के वर्ष से आठ वषोर्ं तक स्थानांतरित किया जा सकता है।
उपरोक्त प्रावधान अवशोषित मूल्यह्रास पर लागू नहीं होते (अवशोषित मूल्यह्रास से संबंधित प्रावधानों पर आगे चर्चा की गर्इ है) ।
अनुच्छेद 35 कघ के तहत निर्देशित व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति निर्देशित व्यापारों के अलावा और किसी आय से नहीं की जा सकती (अनुच्छेद 35 कघ एक कोल्ड चेन सुविधा स्थापित करने, क्रषि उत्पाद के भण्डारण के लिए गोदाम सुविधा को स्थापित करने और चलाने और आवासीय परियोजना का विकास और निर्माण करने आदि जैसे निर्देशित व्यापारों से संबंधित है) ऐसी हानि को कितने भी वषोर्ं के लिए समायोजन के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है ।
दौड़ में भागने वाले घोड़ों के स्वामित्व और रखरखाव के व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति दौड़ में भाग लेने वाले घोड़ों के स्वामित्व और रखरखाव के व्यापार से हुर्इ आय से ही की जा सकती है। इस प्रकार की हानि को केवल चार वषोर्ं की अवधि के लिए ही स्थानांतरित ही किया जा सकता है।- Q7. आकलन पर आधारित व्यापार से हुर्इ हानि के स्थानांतरण और क्षतिपूर्ति के संबंध में आयकर कानून के तहत कौन से प्रावधान गढ़े गए हैं?
यदि आकलन पर आधारित व्यापार से हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति उस वर्ष में पू्री तरह समायोजित नहीं की सकती जिसमें वो हुर्इ थी, तो असमायोजित हानि को समायोजन के लिए अगले वर्ष में स्थानांतरित किया जा सकता है। आने वाले वर्ष (वषोर्ं) में ऐसी हानि को केवल आकलन पर आधारित व्यापार से हुर्इ आय के खिलाफ ही समायोजित किया जा सकता है (वही व्यापार या कोर्इ अन्य आकलन पर आधारित व्यापार हो सकता है)।
आकलन पर आधारित व्यापार से हुर्इ हानि को केवल तभी स्थानांतरित किया जा सकता है जब जिस वर्ष में हानि हुर्इ थी उस वर्ष की आय/ हानि विवरणी पेश करने की तिथि पर या उससे पहले दिया जाए, जैसे कि अनुच्छेद 139 (1) में निर्देशित किया गया है।
इस प्रकार की हानि को हानि होने के वर्ष से चार वषोर्ं तक स्थानांतरित किया जा सकता है।
उपरोक्त प्रावधान आकलन पर आधारित व्यापार के अवशोषित मूल्यह्रास के मामले पर लागू नहीं होते (अवशोषित मूल्यह्रास से संबंधित प्रावधानों पर आगे चर्चा की गर्इ है) ।- Q 8. गृह संपत्ति से हुर्इ हानि को स्थानांतरित करने और उसकी क्षतिपूर्ति करने के संबंध में आय कर कानुन के तहत कौन से प्रावधान गढ़े गए हैं?
यदि “गृह संपत्ति से आय/ शीर्षक के तहत हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति उस वर्ष में पूरी तरह समायोजित नहीं की सकती जिसमें वो हुर्इ थी, तो असमायोजित हानि को समायोजन के लिए अगले वर्ष में स्थानांतरित किया जा सकता है।
आने वाले वर्ष (वषोर्ं) में ऐसी हानि को “ग्रह संपत्ति से आय” शीर्षक के तहत करदेय आय के खिलाफ ही समायोजित किया जा सकता है ।
ऐसी हानि को हानि होने के वर्ष से आठ वषोर्ं तक स्थानांतरित किया जा सकता है।
“गृह संपत्ति से आय” शीर्षक के तहत हानि को तब भी स्थानांतरित किया जा सकता है जब जिस वर्ष में हानि हुर्इ थी उस वर्ष की आय/ हानि विवरणी पेश करने की तिथि पर या उससे पहले न दिया गया हो, जैसे कि अनुच्छेद 139 (1) में निर्देशित किया गया है।- Q 9. आय-कर कानून के तहत हानि के स्थानांतरण और क्षतिपूर्ति के संबंध में कौन से प्रावधान गढ़े गए हैं?
यदि “पूंजीगत लाभ” शीर्षक के तहत हुर्इ हानि की क्षतिपूर्ति उसी वर्ष में पूरी तरह समायोजित नहीं की सकती है, तो असमायोजित पूजीगत हानि को अगले वर्ष में स्थानांतरित किया जा सकता है।
आने वाले वर्ष (वषोर्ं) में, ऐसी हानि को केवल “पूंजीगत लाभ” शीर्षक के तहत करदेय आय के खिलाफ ही समायोजित किया जा सकता है, परंतु, दीर्घकालिक पूंजीगत हानि को केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के खिलाफ ही समायोजित किया जा सकता है। अल्पकालिक पूंजीगत हानि को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के साथ साथ अल्पकालिक पूंजीगत लाघ के खिलाफ समायोजित किया जा सकता है।
ऐसी हानि को हानि होने के वर्ष से आठ वषोर्ं तक स्थानांतरित किया जा सकता है।
ऐसी हानि को केवल तभी स्थानांतरित किया जा सकता है जब जिस वर्ष में हानि हुर्इ थी उस वर्ष की आय/ हानि का रिटर्न, रिटर्न पेश करने की तिथि पर या उससे पहले दिया जाए, जैसे कि अनुच्छेद 139 (1) में निर्देशित किया गया है।- Q 10. अवशोषित मूल्यह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अवशोषित पूंजीगत व्यय और कर्मचारियों के बीच परिवार नियोजन को प्रोत्साहन पर हुए अवशोषित पूंजीगत व्यय का क्या अर्थ है?
अन्य गर्इ कटौतियों के अलावा, “व्यापार या व्यवसाय से लाभ” शीर्षक के तहत करदेय आय की गणना करते समय, एक व्यक्ति को अवशोषित मूल्यह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अवशोषित पूंजीगत व्यय और कर्मचारियों के बीच परिवार नियोजन को प्रोत्साहन पर हुए अवशोषित पूंजीगत व्यय पर कटौती का दावा करने की अनुमति होती है। यदि जिस वर्ष में ये व्यय किए गए थे उनमें आय इनसे कम होती है, तो अवशोषित व्ययों को अवशोषित मूल्यह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अवशोषित पूंजीगत व्यय और कर्मचारियों के बीच परिवार नियोजन को प्रोत्साहन पर हुए अवशोषित पूंजीगत व्यय के रूप में अगले वर्ष में स्थानांतरित किया जा सकता है। बेहतर समझ के लिए निम्नलिखित विवरण पर विचार करें।
उदाहरण
मूल्यह्रास की कटौती से पहले श्री किरण की व्यापार आय (आयकर कानून के प्रावधानों द्वारा परिकलित) रू 84,000 है। धारा 32 के प्रावधानों के अनुसार, मूल्यह्रास रू 1,00,000 है। इस स्थिति में अवशोषित मूल्यह्रास की राशि कितनी होगी?
**
ये अवलोकन किया जा सकता है कि मूल्यह्रास के संबंध में धारा 32 के तहत कटौती का दावा करने से पहले व्यापारिक आय रू 84,000 है और धारा 32 के तहत स्वीकार्य मूल्यह्रास रू 1,00,000 इसलिए मूल्यह्रास की वजह से रू 1,00,000 की कटौती का दावा करने के बाद, रू 16,000 की हानि होगी। ये हानि मूल्यह्रास की वजह से है और इसलिए रू 16,000 की हानि को अवशोषित मूल्यह्रास कहा जाता है।- Q11. अवशोषित मूल्यह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अवशोषित पूंजीगत व्यय और कर्मचारियों के बीच परिवार नियोजन को प्रोत्साहन पर हुए अवशोषित पूंजीगत व्यय की क्षतिपूर्ति के संबंध में आयकर कानून के तहत कौन से प्रावधान गढ़े गए हैं?
पहले वर्ष में, (यानि जिस वर्ष में व्यय हुए हैं) इन व्ययों के लिए स्वीकृति पहले “व्यापार या व्यवसाय से लाभ” शीर्ष्क के तहत करदेय आय से काटी जाती है। यदि ऐसे व्ययों को व्यापार/ व्यवसाय आय से पूरी तरह नहीं काटा जाता है, तो इसे उसी वर्ष के लिए अन्य शीर्षकों (“वेतन” के अलावा) के तहत करदेय आय से काटा जाता है। यदि फिर भी ये भत्ते अवशोषित रह जाते हैं, तो उन्हे आने वाले वर्ष (वषोर्ं) में स्थानांतरित किया जा सकता है।
ये भत्ते, जो अवशोषित रह गए हैं, उन्हें कितने भी वषोर्ं के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है, और इनकी क्षतिपूर्ति किसी भी शीर्षक (“वेतन” के अलावा) के तहत कर देय आय से की जाती है। परंतु, क्षतिपूर्ति के मामले में, प्राथमिकता के निम्नलिखित क्रम का पालन किया जाना चाहिए:
• पहले समायोजन वर्तमान वैज्ञानिक अनुसंधान व्यय, परिवार नियोजन व्यय और वर्तमान मूल्यह्रास के लिए किए जाते हैं
• दूसरे समायोजन आगे लाए गए व्यापार लाभ के लिए किए जाते हैं
• तीसरे समायोजन अवशोषित मूल्यह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अवशोषित पूंजीगत व्यय और कर्मचारियों के बीच परिवार नियोजन को प्रोत्साहन पर अवशोषित पूंजीगत व्यय के लिए किए जाते हैं- Q12. व्यापार के संविधान में परिवर्तन की स्थिति में, क्या हानि को पुनर्गठित इकार्इ में स्थानांतरित किया जा सकता है?
आमतौर पर, केवल वही व्यक्ति हानि को आने वाले वर्ष (वषोर्ं) में स्थानांतरित करने के जिम्मेदार होता है जिसे वो हानि हुर्इ हो। परंतु, एकीकरण, अविलय, स्वामी फर्म का कंपनी या साझेदारी फर्म का कंपनी में रूपांतरण आदि जैसे व्यापारिक पुनर्गठन की स्थिति में, पुनर्गठित इकार्इ को पुरानी इकार्इ की असमायोजित हानि को स्थानांतरित करने का अधिकार होगा (यदि इस संबंध में शतोर्ं को पूरा किया गया हो।)- Q13. क्या किसी साझेदारी फर्म के किसी साझेदार के सेवानिव्रत्त होने की स्थिति में हानि को स्थानांतरित करने की स्थिति में कोर्इ विशेष प्रावधान गढ़े गए हैं?
धारा 78 में संविधान में एक साझेदारी के किसी साझेदार की मृत्यु या सेवानिव्रत्ति (यानि जब साझेदार सेवानिव्रत्त या मृत्यु के कारण फर्म छोड़ता है) की वजह से परिवर्तन की स्थिति में स्थानांतरण और क्षतिपूर्ति से संबंधित प्रावधान हैं। ऐसी स्थिति में, जा रहे साझेदार को रोप्य हानि के हिस्से को फर्म द्वारा स्थानांतरित नही किया जा सकता।धारा 78 के प्रतिबंध केवल हानि की स्थिति में ही लागू है ना कि अनवशोषित मूलयह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अनवशोषित पूंजीगत व्यय अथवा परिवार नियोजन व्यय की स्थिति में।- Q14. उस कंपनी के मामले में, जिसमें जनता मुख्य हिस्सा नहीं रखती, में हानि के स्थानांतरण और क्षतिपूर्ति की स्थिति में कोर्इ विशेष प्रावधान गढ़े गए हैं?
आयकर अधिनियम की धारा 79 के अनुसार, कंपनी की स्थिति में पिछले वर्ष में शेयरधारिता में परिवर्तन आया हो, उस कंपनी की स्थिति में नहीं जिसमें जनता का वस्तुत: हित हो, पिछले वर्ष से पूर्व के किसी वर्ष से पूर्व में हुर्इ हानि पिछले वर्ष की आय के समक्ष क्षतिपूर्ति तथा स्थानांतरित की जाएगी जब तक-पिछले वर्ष के अंतिम दिन पर कंपनी के शेयर वोटिंग अधिकार के 51 प्रतिशत से कम न हो जिसे वहन कंपनी लाभार्थी व्यक्ति द्वारा धारित किया गया था जो उस वर्ष अथवा वर्षों जिसमें हानि हुर्इ थी, के अंतिम दिन पर वोटिंग अधिकार के कम से कम 51 प्रतिशत रखता हो।धारा 79 के प्रतिबंध केवल हानि की स्थिति में ही लागू है ना कि अनवशोषित मूल्यह्रास, वैज्ञानिक अनुसंधान पर अनवशोषित पूंजीगत व्यय अथवा परिवार नियोजन व्यय की स्थिति में।इसके अलावा, धारा 79 के प्रावधान हितधारक की म्रत्यु या हितधारक के किसी रिश्तेदार को उपहार के रूप में स्थानांतरित शेयरों के मामले में या उस भारतीय कंपनी के हितधारण में परिवर्तन के मामले में जो एक विदेशी कंपनी की सहायहक है, लागू नहीं होते, जब ऐसी विदेशी कंपनी किसी अन्य विदेशी कंपनी के साथ एकीक्रतध् अलग होती है, और विलीन होने वालीध् नर्इ विदेशी कंपनी में 51प्रतिशत या अधिक हितधारक और एकीक्रतध् अलग हुर्इ विदेशी कंपनी समान होती हैं।
Govt. announces amendment to Prevention of Money Laundering rules; mandates reporting of Aadhar, PAN to authorities
Bhagavad Gita: Yada te moha-kalilam buddhir vyatitarisyati (Test 52, Contents of the Gita Summarized)
Yada te moha-kalilam buddhir vyatitarisyati
Tada gantasi nirvedam srotavyasya srutasya ca
(Text 52, Contents of the Gita Summarized)
Meaning: When your intelligence has passed out of the dense forest of delusion, you shall become indifferent to all that has been heard and all that is to be heard.
Yada: when, te: your, moha: of illusion, kalilam: dense forest, buddhih: transcendental service with intelligence, vyatitarisyati :surpasses,tada: at that time, gantaasi: you shall go, nirvedam:callousness, srotavyasya: towards all that is to be heard, srutasya: all that is already heard, ca: also.